सर्वोच्च अदालत ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा पर नेशनल टास्क फ़ोर्स ने पर्याप्त प्रगति नहीं की

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा नेशनल टास्क फोर्स गठन के लिए तीन सप्ताह की समय-सीमा की तय

आगरा/नई दिल्ली 15 अक्टूबर ।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (15 अक्टूबर) को नेशनल टास्क फोर्स पर असंतोष व्यक्त किया ।इसे देश भर में मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा बढ़ाने पर सिफारिशें करने के लिए कोर्ट द्वारा गठित किया गया था,लेकिन कोर्ट ने माना कि उसके गठन के दिशा में ने पर्याप्त प्रगति नहीं हुई है ।

कोर्ट ने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि 20 अगस्त को पारित आदेश द्वारा गठित नेशनल टास्क फ़ोर्स ने 9 सितंबर के बाद कोई बैठक नहीं की।

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा,

“9 सितंबर के बाद कोई बैठक क्यों नहीं हुई?”

कोर्ट ने निर्देश दिया कि नेशनल टास्क फ़ोर्स को नियमित बैठकें करनी चाहिए और तीन सप्ताह की अवधि के भीतर अपना कार्य पूरा करना चाहिए।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी। स्वत: संज्ञान मामले में न्यायालय ने मेडिकल पेशेवरों के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी के मुद्दे को संबोधित करने का फैसला किया था और स्थिति में सुधार के लिए उचित सिफारिशें करने के लिए नेशनल टॉस्क फोर्स का गठन किया था।

एसजी ने अदालत को सूचित किया कि नेशनल टास्क फ़ोर्स द्वारा अब तक उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए हलफनामा दायर किया गया।

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27 अगस्त को आयोजित टास्क फ़ोर्स की पहली बैठक में हितधारकों के साथ जुड़ने और मेडिकल संस्थानों में सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने और मेडिकल पेशेवरों की कार्य स्थितियों में सुधार करने पर अपनी सिफारिशें तैयार करने के लिए चार उप-समूहों का गठन किया गया। उप-समूहों के संयोजकों और सचिवों की बैठक 9 सितंबर को हुई।

लगभग 37,000 संघों और 15,000 व्यक्तियों से लगभग 17,000 इनपुट और सुझाव प्राप्त हुए । स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय/राज्य अस्पतालों को एक प्रश्नावली भी साझा की और 7688 अस्पतालों/मेडिकल प्रतिष्ठानों ने जवाब प्रस्तुत किए, जिनका उप-समूहों द्वारा मूल्यांकन किया जा रहा है।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा:

“वर्तमान में ऐसा प्रतीत होता है कि न तो नेशनल टास्क फ़ोर्स और न ही उप-समूहों ने इस न्यायालय के आदेशों में निर्धारित कार्य के अनुसार कोई ठोस प्रगति की। एसजी ने स्वीकार किया कि सितंबर 2024 के पहले सप्ताह से कोई बैठक आयोजित नहीं हुई। हमारा विचार है कि केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय प्रयास करने चाहिए कि टास्क फोर्स का कार्य भविष्य में उचित अवधि के भीतर पूरा हो। तदनुसार, टास्क फ़ोर्स की बैठकें समय-समय पर आयोजित की जाएंगी। सभी उप-समूहों को नियमित बैठकें करनी चाहिए, जिससे अगली तारीख तक इस न्यायालय को नेशनल टास्क फ़ोर्स की अस्थायी सिफारिशों से अवगत कराया जा सके, जिसमें इसके उप-समूह भी शामिल हैं। यह अभ्यास तीन सप्ताह की अवधि के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।”

न्यायालय ने सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन एवीएसएम, वीएसएम, महानिदेशक मेडिकल सेवा (नौसेना) की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय एनटीएफ का गठन किया।

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एनटीएफ़ के पदेन सदस्य निम्नलिखित अधिकारी थे: (ए) भारत सरकार के कैबिनेट सचिव, (बी) भारत सरकार के गृह सचिव, (सी) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, (डी) राष्ट्रीय मेडिकल आयोग के अध्यक्ष और (ई) राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष।

एनटीएफ़ को मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा, कार्य स्थितियों और कल्याण से संबंधित सिफारिशें करने के लिए कहा गया था।

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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