यमुना में बढ़ते प्रदूषण के लिए आम जनता भी है जिम्मेदार
यमुना किनारे बाढ़ प्रभावित भूमि पर बसी बस्ती के बेदखली के नोटिस पर राहत देने से किया इंकार
आगरा /नई दिल्ली 09 अक्टूबर।
दिल्ली हाई कोर्ट ने यमुना किनारे फ्लड प्लेन पर बसी झुग्गी बस्ती को खाली करने के डीडीए के नोटिस के खिलाफ याचिकाकर्ता को राहत देने से इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का 27 सितंबर, 2024 के बेदखली नोटिस पर रोक का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट ने साउथ दिल्ली में को इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को ऐसी मांग करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने शबनम बर्नी की याचिका खारिज कर दी और उन्होंने हाई कोर्ट की सिंगल बेंच द्वारा मामले में जारी निर्देशों पर अमल करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता का 27 सितंबर, 2024 को मिले बेदखली नोटिस पर रोक की मांग करने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। उसे हाई कोर्ट की सिंगल बेंच द्वारा 8 जुलाई, 2024 को पारित निर्देशों पर अमल करना चाहिए। याचिकाकर्ता ने दशकों से श्रम विहार में बसे होने का दावा करते हुए कोर्ट से कहा कि संबंधित जमीन यमुना के फ्लडप्लेन या ‘O’ जोन में नहीं आती है। याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि बस्ती वालों ने कॉलोनी को अधिकृत करने के लिए संबंधित प्राधिकार को आवेदन दे रखा है।
Also Read – रिटायरमेंट करीब आने पर सर्वोच्च न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ हुए भावुक:
दूसरी ओर भूमि की स्वामित्व एजेंसी डीडीए ने कोर्ट में यह दलील दी कि विवादित इलाका पूरी तरह से बाढ़ क्षेत्र का हिस्सा है और जोनल डिवेलपमेंट प्लान के मुताबिक, उसका इस्तेमाल केवल कृषि संबंधी और पेड़ पौधे लगाने जैसे कामों के लिए ही हो सकता है। अथॉरिटी ने कोर्ट को यह भी बताया कि श्रम विहार का नाम उन 1735 कॉलोनियों की सूची में शामिल नहीं हैं, जिन्हें नियमित किया गया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपने बचाव में यह तर्क भी दिया कि पूरा का पूरा सैनिक फार्म अनधिकृत है तो क्या उसे खाली कराया जा रहा है ?
यमुना में प्रदूषण के लिए आम जनता को बराबर का जिम्मेदार मानते हुए कोर्ट ने कहा, समस्या यह है कि कोई चाहता ही नहीं है कि यमुना साफ सुथरी हो, उसमें प्रदूषण घटे। जाइए, देखिए कैसे यमुना में झाग बन रहा है, नदी के पास से गुजरते हुए मील की दूरी से ही बदबू आने लगती है और यह सब इसलिए क्योंकि हम उसे और प्रदूषित करते जा रहे हैं। उसके किनारे पर अनधिकृत कॉलोनियां बस गई हैं और उनका पूरा सीवेज यमुना में जा रहा है। इन टिप्पणियों के साथ हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp – Group Bulletin & Channel Bulletin
साभार: लेटेस्ट लॉ
- आगरा में मां की निर्मम हत्या के आरोपी पुत्र को आजीवन कारावास एवं 50 हजार रुपये के अर्थ दंड की सजा - October 25, 2025
- आगरा अदालत में गवाही के लिए हाजिर न होने पर विवेचक पुलिस उपनिरीक्षक का वेतन रोकने का आदेश - October 25, 2025
- 25 साल बाद फिरौती हेतु अपहरण के 6 आरोपी बरी, अपहृत ने नकारी गवाही - October 25, 2025






