यूपी पुलिस परीक्षा के पेपर लीक होने की कथित अफवाहों पर दर्ज एफआईआर में यूपी के पूर्व मंत्री यासर शाह को कोर्ट से अंतरिम राहत

उच्च न्यायालय मुख्य सुर्खियां

आगरा/प्रयागराज 10 सितंबर।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता यासर शाह को अंतरिम राहत दी, जिन पर उत्तर प्रदेश कांस्टेबल परीक्षा 2024 के पेपर के संभावित लीक होने के बारे में कथित तौर पर एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अफवाह फैलाने के लिए एफआईआर का सामना करना पड़ रहा है।

न्यायमूर्ति अताउ रहमान मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ को शाह के खिलाफ आरोपों को पुष्ट करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया सबूत नहीं मिला।

 

मामले की पृष्ठभूमि

समाजवादी पार्टी के एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति यासर शाह उस समय जांच के दायरे में आ गए, जब उनकी सोशल मीडिया गतिविधि से पता चला कि यूपी पुलिस कांस्टेबल परीक्षा 2024 का पेपर लीक हो सकता है। उत्तर प्रदेश राज्य, जिसका प्रतिनिधित्व अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, गृह विभाग, लखनऊ ने किया, ने शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनके ट्वीट ने अनावश्यक रूप से दहशत पैदा की और सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित कर सकता है।

अदालत में शाह का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता नदीम मुर्तजा, हर्षवर्धन केडिया और सूर्यांश सिंह सूर्यवंशी ने किया, जबकि राज्य की ओर से सरकारी अधिवक्ता श्री एस.पी. सिंह शामिल थे।

Also Read - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट के बारे में शपथ पर गलत बयान देने के लिए तीन लोगों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया

महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दे

इस मामले में प्राथमिक कानूनी मुद्दा भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं के इर्द-गिर्द घूमता था, खासकर सोशल मीडिया के संदर्भ में।

अदालत ने जांच की कि क्या शाह की हरकतें संभावित रूप से गलत और नुकसानदेह जानकारी फैलाकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग थीं या क्या वे सार्वजनिक टिप्पणी के स्वीकार्य दायरे में आती थीं।

अदालत ने नोट किया कि याचिकाकर्ता की भूमिका एक ट्वीट तक सीमित थी जिसमें अनुचित भाषा थी, जो आपत्तिजनक हो सकती थी। हालांकि, इसने जोर देकर कहा, “हम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) की रूपरेखा को रेखांकित नहीं कर सकते हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को समान रूप से समाहित करता है।”

Also Read - जाली शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करके प्राप्त की गई सार्वजनिक नौकरी “आरंभ से ही अमान्य” : इलाहाबाद हाईकोर्ट

अदालत का फैसला

अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि, वर्तमान तिथि के अनुसार, संबंधित ट्वीट के आधार पर शाह को किसी आपराधिक गतिविधि से जोड़ने वाला कोई ठोस सबूत नहीं था।

परिणामस्वरूप, अदालत ने अंतरिम राहत देते हुए आदेश दिया कि शाह को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए, बशर्ते वह चल रही जांच में सहयोग करें।

हालांकि, अदालत ने शाह को भविष्य में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कोई भी ऐसी सामग्री पोस्ट करने के खिलाफ भी आगाह किया, जो संवैधानिक अधिकारियों या सार्वजनिक अधिकारियों पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करके आक्षेप लगा सकती हो, इस सिद्धांत को मजबूत करते हुए कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जिम्मेदारी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

Also Read - 69000 शिक्षक भर्ती अभ्यर्थ‍ियों को राहत : हाईकोर्ट के फैसले पर फिलहाल सर्वोच्च अदालत ने लगाई रोक

मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी, जिसमें अदालत अंतरिम अवधि में कोई भी जवाबी हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देगी।

Order / Judgement – Yasar-Shah-vs.-State-Of-U.P

Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp Group – Click Here

 

Source Link

विवेक कुमार जैन
Follow me

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *