70 वर्षीय अभियुक्त को दुराचार एवं पॉक्सो एक्ट में दस वर्ष की कैद

अपराध न्यायालय मुख्य सुर्खियां
6 वर्षीया अबोध बालिका के साथ किया था जघन्य कृत्य
अदालत नें आदेश में कहा कि आरोपी का कृत्य सामान्य बलात्कार के अपराध का नहीं, अपितु वीभत्स प्रकृति का है
अदालत ने 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया
वादी मुकदमा, पीड़िता सहित सात गवाह हुये थे पेश

आगरा 28 अगस्त ।

6 वर्षीया अबोध बालिका के साथ दुराचार एवं पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपित 70 वर्षीय अभियुक्त भानु प्रताप उर्फ प्रताप भान पुत्र स्व.हरी शंकर निवासी शकुंतला मैरिज होम के पास, नन्द गंवा रोड, जैतपुर, जिला आगरा को उसके जघन्य कृत्य के लिये दोषी पाते हुये विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट माननीय सोनिका चौधरी  ने दस वर्ष कैद एवं 50 हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया है।

थाना जैतपुर में दर्ज मामले के अनुसार वादी मुकदमा की 6 वर्षीया अबोध पुत्री 24 जनवरी 2018 की शाम 6 बजें गली में स्थित मकान में छोटे बच्चें को ख़िलाने गई थी, उसी दौरान आरोपी ने बहला फुसला कर वादी की पुत्री को अपने यहां बुला उसके साथ जघन्य कृत्य किया।

पुत्री द्वारा अपनी माँ को बतानें पर पुत्री के पिता ने आरोपी के विरुद्ध थाना जैतपुर में दुराचार एवं पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।

 

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मुकदमें के विचारण कें दौरान एडीजीसी सुभाष गिरी एवम विजय किशन लवानिया विशेष लोक अभियोजक अधिकारी एवं वादी के वरिष्ठ अधिवक्ता दीपक कुमार शर्मा ने मामले की पुष्टि हेतु वादी मुकदमा, पीड़िता, उसकी मां, डॉ रुचि रानी, निरीक्षक सुरेंद्र कुमार सागर, एस. आई. चन्द्र प्रकाश शर्मा एवं निरीक्षक वीरेंद्र पाल सिंह को गवाही हेतु अदालत में पेश किया।

विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट माननीय सोनिका चौधरी ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवं एडीजीसी सुभाष गिरी एवम विजय किशन लवानिया विशेष लोक अभियोजक अधिकारी एवं वादी के अधिवक्ता के तर्क पर 70 वर्षीय अभियुक्त को दस वर्ष कैद एवं 50 हजार रुपये कें अर्थ दंड से दंडित किया है।

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अदालत ने अर्थ दंड की समस्त राशि पीड़िता को दिलाने के साथ साथ, यथोचित प्रतिकर प्राप्ति हेतु आदेश की प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भी प्रेषित करने के आदेश दिये हैं।

अदालत नें आरोपी के विरुद्ध अपने आदेश में कहा कि, आरोपी का कृत्य सामान्य बलात्कार के अपराध का नहीं, अपितु वीभत्स प्रकृति का है, हमारे देश में एक ओर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का अभियान वृहत स्तर पर चल रहा हैं, किंतु दुख का विषय है कि हम आज भी अपनी अबोध बालिकाओं को लैंगिक हमलो के अपराध से बचाने में पूर्णतया सफल नहीं हो पा रहें हैं तथा समाज से यह कुरीति मिट नहीँ पा रही हैं।ऐसे अपराधियो से सख्ती नहीँ की गई तो समाज में गलत संदेश जाता हैं।

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ऐसे अपराधों से पीड़ित बच्चों का संपूर्ण जीवन मानसिक यंत्रणा में व्यतीत होता हैं।

विवेक कुमार जैन
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