आगरा के अधिवक्ता के सी जैन ने सर्वोच्च अदालत के समक्ष उठाया यह प्रकरण
आगरा 27 सितंबर।
अज्ञात वाहनों से प्रति वर्ष लगभग पैंसठ हजार से अधिक हिट एण्ड रन के हादसों में जहां बड़ी संख्या में व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं या उनकी मृत्यु हो जाती है लेकिन ऐसे दुर्भाग्यशाली घायलों को व मृत व्यक्तियों के आश्रितों को मुआवजे के प्राविधान होने पर भी मुआवजा नहीं मिल पाता है। केन्द्र सरकार के द्वारा वर्ष 2022 में बनायी गयी योजना के अनुसार मृतक व्यक्ति के आश्रितों को ₹ दो लाख व घायलों को ₹ पचास हजार मिलने का प्राविधान है।
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अभी हाल में जनरल इन्श्योरेन्स काउंसिलऑफ इण्डिया द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन को सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत उपलब्ध करायी गयी सूचना से यह खुलासा हुआ कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस योजना के अन्तर्गत हिट एण्ड रन हादसों के कुल 2571 घायलों व मृतकों के आश्रितों को 50.76 करोड़ मुआवजा दिया गया जबकि 36 क्लेमों को निरस्त कर दिया गया। वहीं वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल से लेकर अगस्त तक भी 1662 लोगों को ही 32.26 करोड़ का मुआवजा दिया गया और 20 लोगों के क्लेम निरस्त कर दिये गये। लम्बित क्लेमों की संख्या 31.08.2024 को 1026 थी।
इस हिट एण्ड रन मुआवजे की योजना के अन्तर्गत पैंसठ हजार से अधिक पात्रों के विरूद्ध वित्तीय वर्ष 2023-24 में केवल 2571 लोगों को मुआवजा दिया जाना नगण्य था जो कि कुल पात्रों की संख्या के सापेक्ष में 4 प्रतिशत ही था। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2024-25 के अप्रैल से अगस्त माह तक 5 माह में कुल 1662 लोगों को मुआवजा दिया गया जो कि इस अवधि के पात्रों की संख्या के सापेक्ष में कुल 6.3 प्रतिशत ही था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी योजना अप्रभावी
हिट एण्ड रन हादसों में मुआवजे के भुगतान के मानवीय मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमुर्ति एस अभय ओका एवं न्यायमूर्ति पंकज मित्थल की बेंच ने 12 जनवरी 2024 को निर्णय लिया था जो कि अधिवक्ता जैन द्वारा प्रस्तुत आई0ए0 सं0 71387 वर्ष 2023 पर था लेकिन इसके बावजूद भी इस योजना के अन्तर्गत पात्रों को भुगतान नहीं हो सका है जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नये दिशा निर्देश देने के लिए अपना निर्णय 27 अगस्त 2024 को सुरक्षित कर लिया है।
27 सितंबर को पीठ के समक्ष पुनः मामला उठा
अधिवक्ता जैन ने आज 27 सितम्बर 2024 को न्यायमूर्ति अभय एस0 ओका व न्यायमूर्ति अगस्तीन जाॅर्ज मसी की बेंच के समक्ष सूचना अधिकार अधिनियम में प्राप्त हुयी सूचना की बात को रखा और बेंच ने गौरव अग्रवाल न्यायमित्र को सूचना उपलब्ध कराने का निदेश दिया ताकि इस सम्बन्ध में अग्रिम कार्यवाही हो।
पिछले वर्षों में हुए हादसों की संख्या
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट रोड एक्सीडेन्ट इन इण्डिया का सन्दर्भ देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में उल्लेख किया था कि वर्ष 2016 में 55942, वर्ष 2017 में 65186, वर्ष 2018 में 69822, वर्ष 2019 में 69621 हिट एण्ड रन के हादसे थे। कोरोना अवधि 2020 व 2021 में क्रमशः 52448 व 57415 थे जो बढ़कर 2022 में 67387 हो गये। जनरल इन्श्योरेन्स काउंसिल की वित्तीय वर्ष 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि योजना के अन्तर्गत कुल 205 क्लेम प्राप्त हुए और जिनमें से मात्र 95 लोगों का भुगतान किया गया।
पुलिस को करने चाहिए प्रयास
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की भूमिका के सम्बन्ध में कहा कि जब पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंच जाती है कि हादसा हिट एण्ड रन का है तो पुलिस को पीड़ित व्यक्तिया मृतक के उत्तराधिकारियों को मुआवजे की योजना के सम्बन्ध में बताना चाहिए। ऐसे प्रकरण हैं जहां पुलिस व योजना के क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर हिट एण्ड रन हादसे को जानता है लेकिन उनके द्वारा कोई कोशिश नहीं की जाती है कि मुआवजा प्राप्त करने के लिए पीड़ित अपना क्लेम दाखिल करे। इसको देखते हुए उचित निर्देश जारी करने की जरूरत है।
पुलिस को किए थे निर्देश जारी
जब क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन के पास हादसा करने वाले वाहन का विवरण नहीं है और हादसे की घटना के एक माह के अन्दर भी वे वाहन को मालूम नहीं कर पाते हैं तो पुलिस थानाध्यक्ष लिखित रूप से घायल व्यक्ति को अथवा मृतक व्यक्ति के प्रतिनिधियों को जैसा भी मामला हो लिखित रूप से यह सूचित करेगा कि वे योजना के अन्तर्गत मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ-साथ सम्बन्धित क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर के ईमेल पते आदि का विवरण भी घायल व्यक्ति को अथवा मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों को उपलब्ध कराया जायेगा।
थानाध्यक्ष द्वारा हादसे की दिनांक के एक माह के अन्दर क्लेम इंक्वायरी ऑफिसर को हादसे की सूचना भेजी जायेगी जिसमें पीड़ित व्यक्ति तथा मृतक व्यक्ति के विधिक उत्तराधिकारियों का नाम भी क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर को भेजा जायेगा। क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर द्वारा सूचनाऐं प्राप्त होने के बाद भी यदि कोई क्लेम के लिए प्रार्थना पत्र एक माह के अन्दर प्राप्त नहीं होता है तो क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर द्वारा जनपद विधिक सेवा प्राधिकरण को सूचना भेजी जायेगी कि वह क्लेमेन्ट से सम्पर्क करे और उन्हें क्लेम आवेदन पत्र दाखिल करने में सहायता करे।
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सुप्रीम कोर्ट ने जनपद स्तर पर किया था मॉनिटरिंग कमेटी का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक जनपद स्तर पर माॅनिटरिंग कमेटी के गठन के आदेश भी किये और इस कमेटी के सदस्य होंगे – जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, जिले का क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर व एक पुलिस अधिकारी जो कि उप पुलिस अधीक्षक से कम का नहीं होगा। जनपद विधिक सेवा प्राधिकरण का सचिव इस कमेटी का कनविनयर होगा और यह कमेटी प्रत्येक 2 माह में एक बार मुआवजा के भुगतान की योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए बैठक करेगी। क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर अपनी रिपोर्ट क्लेम सेटलमेन्ट कमिश्नर को एक माह के अन्दर भेज देगा।
जनपद विधिक सेवा प्राधिकरण को भी दिए थे निर्देश
जनपद विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव माॅनिटरिंग कमेटी की कार्यविधियों पर प्रत्येक तीन माह में रिपोर्ट राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास भेजेंगे जो कि सभी जिलों की सूचनाऐं एकत्र करके एक समग्र रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को प्रेषित करेंगे।
केंद्र सरकार ने मुआवजे की राशि को किया बढ़ाने से इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस महत्वपूर्ण निर्णय दिनांक 12.01.2024 में यह भी उल्लेख किया कि मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 161(2) में हिट एण्ड रन हादसे में मृत्यु की दशा में दो लाख रूपये या केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित अधिक राशि का भुगतान किया जायेगा। इसी प्रकार गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति में पचास हजार रूपये का भुगतान किया जायेगा। रूपये की कीमत समय के साथ घट जाती है इसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को निर्देशित किया कि क्या मुआवजा प्रति वर्ष बढ़ सकता है इस पर केन्द्र सरकार को 8 सप्ताह की अवधि में निर्णय लेना था। इसको लेकर केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना शपथ पत्र दाखिल किया है कि वह मुआवजे की राशि को नहीं बढ़ाना चाहते हैं। अज्ञात वाहन से हुये सड़क हादसे पीड़ितों के लिये एक बड़ा दुख देकर जाते हैं और मुआवजे की राशि भी या तो मिलती नहीं है या जो मिलती है वह अपर्याप्त है।
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