उपराष्ट्रपति ने जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में सीजेआई संजीव खन्ना के निर्णय की सराहना की, कहा पहली बार किसी सीजेआई ने सभी सामग्रियों को किया सार्वजनिक

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आगरा/नई दिल्ली 25 मार्च ।

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ उनके आधिकारिक परिसर में कथित रूप से नकदी पाए जाने के मामले में इन-हाउस प्रक्रिया से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की सराहना की।

इस निर्णय की सराहना करते हुए जगदीप धनखड़ ने इस कदम को “अभूतपूर्व” और “सही दिशा में उठाया गया कदम” बताया।

उन्होंने कहा,

“न्यायपालिका और विधायिका जैसी संस्थाएं अपने उद्देश्य को सबसे बेहतर तरीके से तब पूरा करती हैं, जब उनका इन-हाउस तंत्र प्रभावी, तेज और जनता के विश्वास को बनाए रखता है। चूंकि इस बार न्यायपालिका के प्रमुख, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने बहुत ही प्रभावशाली और पारदर्शी तरीके से कार्रवाई शुरू की है।इसलिए समिति के नतीजों का इंतजार करना उचित होगा, क्योंकि इससे हमारे पास पूरी सामग्री उपलब्ध हो सकेगी। स्वतंत्रता के बाद यह पहली बार है कि भारत के किसी मुख्य न्यायाधीश ने पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से अपने पास उपलब्ध सभी सामग्री को सार्वजनिक डोमेन में रखा है और न्यायालय के पास कुछ भी रखे बिना साझा किया है। यह सही दिशा में उठाया गया कदम है।”

धनखड़ ने सोमवार (24 मार्च) को सदन के नेता जेपी नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक में यह बयान दिया। यह तब आया है जब जस्टिस वर्मा से संबंधित मुद्दा 21 मार्च को कर्नाटक से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सांसद जयराम रमेश द्वारा राज्यसभा में उठाया गया था। पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रभावी तंत्र के साथ एक व्यवस्थित प्रतिक्रिया का आश्वासन देते हुए, धनखड़ ने कहा था कि वह जल्द ही सदन के नेता और विपक्ष के नेता से संपर्क करेंगे।

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धनखड़ ने वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने के सीजेआई के फैसले की भी सराहना की। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद समिति का गठन किया गया था। समिति के सदस्य हैं – पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू; हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया; और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन

धनखड़ ने खड़गे द्वारा दिए गए सुझाव पर भी विचार किया कि संसदीय परंपरा के अनुरूप इस मुद्दे पर सदन के नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा,

“खड़गे जी की ओर से एक बहुत ही विचारपूर्ण सुझाव आया है जो संसदीय अभ्यास के अनुरूप है, इस मुद्दे पर सदन के नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया जाना चाहिए और सुझाव को उचित और हम तीनों की पूर्ण स्वीकृति के रूप में पाया जाना चाहिए, तदनुसार एक बैठक निर्धारित की जानी चाहिए, जिसमें मैं राज्य परिषद में सदन के नेताओं को इस पर निर्णय लेने के लिए आमंत्रित करूंगा। मैंने दृढ़ता से संकेत दिया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा अब तक उठाए गए कदम, यदि हम पिछले प्रदर्शन को देखें तो अभूतपूर्व हैं और जांच के माध्यम से सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी, जो कि ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थिति में आवश्यक हो सकती है जो न्यायपालिका के सदस्यों, बार के सदस्यों, सांसदों और आम जनता को परेशान कर रही है। मैं एक बैठक निर्धारित करूंगा और सुझाव के अनुसार सूचना भेजूंगा…उनका मानना है कि देश में संस्थानों को केवल ईमानदारी और सार्वजनिक प्रतिबद्धता के साथ ही विकसित होना चाहिए और इस तरह की अस्वस्थता को मिटाने की आवश्यकता है ताकि हम इसकी पुनरावृत्ति न करें।”

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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