सर्वोच्च अदालत ने महाराष्ट्र राज्य से पूछा कि आरोपियों को पेश करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है ?

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कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग के सचिव से मांगा हलफनामा

आगरा /नई दिल्ली 26 अक्टूबर ।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य से यह बताने को कहा कि ट्रायल कार्यवाही के लिए आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा ?

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कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग के सचिव से हलफनामा मांगा।

जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने यह आदेश इस बात पर गौर करते हुए आदेश पारित किया कि एक मामले में 30 मौकों पर ट्रायल स्थगित किया गया, क्योंकि आरोपी को पेश नहीं किया गया।

खंडपीठ ने आदेश दिया,

“महाराष्ट्र राज्य के गृह सचिव हलफनामा दाखिल करें कि साक्ष्य दर्ज करने या अन्य उद्देश्य से न्यायालय में अभियुक्तों को पेश करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है ? हलफनामे में यह भी बताएं कि महाराष्ट्र राज्य में ऐसी सुविधाएं हैं या नहीं ? हलफनामे में यह भी बताया जाए कि न्यायालयों और जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की स्थापना के लिए कितनी राशि जारी की गई और वर्तमान में जमीनी स्थिति क्या है ?”

न्यायालय ने बॉम्बे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को उपरोक्त तथ्यों के संदर्भ में हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

केस टाइटल: आफताब अनवर शेख बनाम महाराष्ट्र राज्य

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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