आगरा में राष्ट्रीय प्राकृत संगोष्ठी का आगाज: जैन आगम ‘स्थानाङ्गसूत्र’ पर हुआ गहन मंथन

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आगरा:

शुक्रवार को आगरा के महावीर भवन, जैन स्थानक में तीन दिवसीय चतुर्थ राष्ट्रीय प्राकृत संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ हुआ।

इस ऐतिहासिक संगोष्ठी का केंद्रबिंदु जैन आगम ‘स्थानाङ्गसूत्र’ है, जिस पर देश-विदेश से आए विद्वान गहन विचार-विमर्श कर रहे हैं।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का शुभारंभ राज्यसभा सांसद नवीन जैन किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री प्रो.सुरेंद्र जैन ने अपने विचार रखे, जिन्होंने जैन दर्शन की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

विशिष्ट अतिथि के तौर पर काशीनाथ न्यौपाने, एम. चंद्रशेखर और श्रुत रत्नाकर ट्रस्ट, अहमदाबाद के संस्थापक निदेशक डॉ. जितेंद्र भाई शाह ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया, जिससे कार्यक्रम की गरिमा और बढ़ गई।

पहले दिन, प्रथम सत्र में बहुश्रुत मुनि श्री जय मुनि ने ‘सृष्टि की द्विरूपता का चित्रण एक झलक’ विषय पर अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति ने श्रोताओं को एक आध्यात्मिक और दार्शनिक यात्रा पर ले जाने का काम किया।

दोपहर के सत्रों में विद्वानों का मेला लगा, जिसमें अलग-अलग विषयों पर गहन शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। द्वितीय सत्र में श्री व्योम शाह (अहमदाबाद), श्री अमोघ प्रभुदेसाई (पुणे), श्री ज्योति कोठारी (जयपुर) और श्री धर्मचंद जैन (जयपुर) जैसे मनीषियों ने ‘स्थानाङ्गसूत्र’ के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।

वहीं, तीसरे सत्र में शोभना शाह (अहमदाबाद), मानसी धारीवाल (राजस्थान), श्री अभिषेक जैन (पानीपत), राका जैन (दिल्ली) और दिनानाथ शर्मा (बनारस) ने अपने शोधों के माध्यम से ‘स्थानाङ्गसूत्र’ की गहराई को समझने का प्रयास किया।

इन शोधपत्रों में ‘स्थानाङ्गसूत्र’ का भाषिक विश्लेषण, पुराण-सम्मत सात गोत्रों का विवेचन, अवमरात्र की शोधपरक व्याख्या, और छह भावों का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण जैसे गूढ़ और महत्वपूर्ण विषयों को सरल रूप में प्रस्तुत किया गया।

यह संगोष्ठी न केवल विद्वानों के लिए एक मंच प्रदान कर रही है, बल्कि आम लोगों को भी जैन दर्शन की वैज्ञानिकता और प्रासंगिकता से रूबरू करा रही है।शनिवार को संगोष्ठी के दूसरे दिन भी कई शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएँगे ।

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विवेक कुमार जैन
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