आगरा/ प्रयागराज 10 सितंबर ।
साल स्लीपर और साल एजिंग की आपूर्ति करने वाली फर्म मेसर्स बंगाल वुड एंड अलाइड प्रोडक्ट्स की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना कि महाकुंभ में गंगा-यमुना के पांटून पुलों पर लगने वाले साल स्लीपर और साल एजिंग की टेंडर प्रक्रिया में मेला प्रशासन ने कोई मनमानी नहीं की है।
इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। कहा, याची फर्म अधिकारियों पर आरोप सिद्ध करने में विफल रही।
यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी.सर्राफ व न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने पर दिया है।
याची फर्म ने नियमों की अनदेखी कर अपात्र कंपनी को माल की आपूर्ति करने का ठेेका देने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
याची फर्म के अधिवक्ता शशि नंदन और उदयन नंदन ने दलील दी कि याची फर्म पिछले छह वित्तीय वर्षों में यूपी सरकार को पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण साल स्लीपर की आपूर्ति की है। वह अनुभवी भी है।
Also Read - यूपी पुलिस परीक्षा के पेपर लीक होने की कथित अफवाहों पर दर्ज एफआईआर में यूपी के पूर्व मंत्री यासर शाह को कोर्ट से अंतरिम राहत
यह भी दलील दी कि ठेका पाने वाली धोरामनाथ ट्रेडर्स, श्रद्धा टिंबर स्टोर्स और वसंत टिंबर मार्ट नामक तीन संस्थाओं के स्टॉक का सत्यापन किए बिना अनुबंध कर लिया गया है। जबकि, सहायक रेंज अधिकारी, रायपुर, छत्तीसगढ़ की 24 जून, 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक इन फर्मों के पास केवल 386.878 घन मीटर का स्टॉक उपलब्ध था।
10 जुलाई, 2024 को रेंज अधिकारी, वन रेंज, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने पत्र जारी कर स्टॉक के सत्यापन के लिए पुन: निरीक्षण किए जाने की जरूरत बताई है। 31 जुलाई, 2024 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने प्रभागीय वन अधिकारी, रायपुर छत्तीसगढ़ की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर सात दिनों के भीतर रिपोर्ट तलब की थी। इससे पहले ठेका अनुबंध हो गया, जो मनमाना और अवैधानिक है।
प्रदेश सरकार व ठेका पाने वाली प्रतिवादी फर्मों की दलील
प्रदेश सरकार और ठेका पाने वाली प्रतिवादी फर्मों की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन सिन्हा ने दलील दी। कहा, निविदा प्रक्रिया के संचालन के लिए बनाया गया एकमात्र प्राधिकरण क्रय समिति है। इसमें प्रमुख सचिव, पीडब्ल्यूडी के आदेश पर गठित कोई अन्य प्राधिकरण की कोई भूमिका नहीं है।
Also Read - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट के बारे में शपथ पर गलत बयान देने के लिए तीन लोगों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया
क्योंकि, क्रय समिति ने बोलीदाताओं के संबंध में भौतिक निरीक्षण करने की आवश्यकता को समान रूप से समाप्त कर दिया है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि इसने तकनीकी और वित्तीय बोली के विभिन्न खंडों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया है। साल स्लीपर क्रय समिति को बोली दस्तावेज के तहत संपूर्ण निविदा प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए संपूर्ण अधिकार दिए गए थे, जिसमें अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) में नियम और शर्तों को बदलने का दृढ़ अधिकार भी शामिल है।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय की विधि व्यवस्थाओं को हवाला देते हुए कहा कि नीतिगत निर्णय में अदालत तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकती, जब तक याची यह सिद्ध न कर दे कि राज्य प्राधिकारियों की कार्रवाई जनहित के विपरीत, भेदभावपूर्ण और क्षेत्राधिकार से बाहर है।
Also Read - जाली शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करके प्राप्त की गई सार्वजनिक नौकरी “आरंभ से ही अमान्य” : इलाहाबाद हाईकोर्ट
मामले में याची की ओर से ठेका पाने वाली प्रतिवादी कंपनियों के स्टॉक पर उठाई गईं आपत्ति बेबुनियाद हैं। अदालत में उपलब्ध दस्तावेज के मुताबिक धोरामनाथ ट्रेडर्स के पास कुल 1,131.97 क्यूबिक मीटर साल की लकड़ी के लट्ठे और साल की लकड़ी के किनारे है। हालांकि, इस तरह के तथ्यात्मक विवादों में याचिका एवम कोर्ट का हस्तक्षेप उचित नहीं है।
Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp Group – Click Here
- आगरा में मां की निर्मम हत्या के आरोपी पुत्र को आजीवन कारावास एवं 50 हजार रुपये के अर्थ दंड की सजा - October 25, 2025
- आगरा अदालत में गवाही के लिए हाजिर न होने पर विवेचक पुलिस उपनिरीक्षक का वेतन रोकने का आदेश - October 25, 2025
- 25 साल बाद फिरौती हेतु अपहरण के 6 आरोपी बरी, अपहृत ने नकारी गवाही - October 25, 2025






