देश की सर्वोच्च अदालत ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को नालों की परियोजना की तुरन्त स्वीकृति देने के लिये किये  आदेश 

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 आगरा में यमुना की स्वच्छता की ओर बढ़ा एक सुप्रीम कदम अब रुकेगा यमुना में गंदे पानी का बहाव

आगरा /नई दिल्ली 18 मार्च ।

यमुना की स्वच्छता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को आदेश दिया गया है कि 38 अनटेप्ड और 5 आंशिक रूप से टेप्ड नालों की परियोजना को तत्काल स्वीकृति दी जाए, ताकि अशोधित गंदे पानी का प्रवाह यमुना नदी में जाने से रोका जा सके।

इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश जल निगम और आगरा नगर निगम को निर्देश दिए हैं कि अन्य नालों के लिए बायो रेमेडिएशन और फाइटो रेमेडिएशन जैसी अंतरिम व्यवस्था की जाए। इस कार्य को 15 अप्रैल 2025 तक पूरा करना होगा और 21 अप्रैल 2025 तक इसका शपथ पत्र दाखिल किया जाएगा, जिसके बाद इस पर सुनवाई होगी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि नालों के संबंध में स्थायी और अंतरिम समाधान सुनिश्चित किया जाए।

यह आदेश आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया गया, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता के.सी. जैन भी मौजूद थे। अधिवक्ता जैन ने अदालत में तर्क दिया कि नालों की टैपिंग का कार्य समयबद्ध रूप से किया जाना चाहिए।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा,

“हम स्वयं इस कार्य की निगरानी कर रहे हैं।”

लंबे समय से लंबित इस परियोजना को अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद जमीन पर उतारा जाएगा। उत्तर प्रदेश जल निगम के प्रबंध निदेशक भी इस सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से उपस्थित थे।

अधिवक्ता जैन ने यमुना की स्वच्छता को ताजमहल के संरक्षण से जोड़ते हुए कहा कि गंदे पानी के कारण हर साल दो बार उत्पन्न होने वाले कीड़े, जो ताजमहल की उत्तरी दीवार को दूषित करते हैं, उनकी समस्या भी इससे समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा, यमुना में बैराज निर्माण की दिशा में भी यह एक सकारात्मक कदम साबित होगा।

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विवेक कुमार जैन
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