केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ ), महाराष्ट्र राज्य और आव्रजन ब्यूरो द्वारा एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के खिलाफ लुक-आउट सर्कुलर(एलओसी )को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा रद्द करने के आदेश को दी गई थी चुनौती
आगरा /नई दिल्ली 25 अक्टूबर ।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ ), महाराष्ट्र राज्य और आव्रजन ब्यूरो द्वारा दायर याचिका खारिज कर दिया जिसमें सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले के बाद एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती, उनके भाई शोविक, उनके पिता (एक सेना के दिग्गज) और उनकी मां (सेना स्कूल शिक्षक) के खिलाफ जारी लुक-आउट-सर्कुलर (एलओसी) को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा रद्द करने को चुनौती दी गई थी।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि याचिका “बेबुनियाद” है। केवल इसलिए दायर की गई, क्योंकि आरोपियों में से एक “हाई-प्रोफाइल” था।

सीबीआई के वकील ने मामले में छूट मांगी तो जस्टिस गवई ने कहा,
“हम आपको चेतावनी दे रहे हैं। आप ऐसी बेबुनियाद याचिका दायर कर रहे हैं, केवल इसलिए क्योंकि आरोपियों में से हाई-प्रोफाइल व्यक्ति है। इसे कठोर दंड के साथ खारिज किया जाएगा। दोनों व्यक्तियों की समाज में गहरी जड़ें हैं।”
जज ने कहा,
“अगर आप सीबीआई को कुछ खर्च और कुछ तारीफ चाहते हैं, तो हम इसे पास कर देंगे।”
जस्टिस विश्वनाथन ने आश्चर्य व्यक्त किया,
“आप इन सबके लिए एलओसी जारी करते हैं!”
बाद में मामला तब खारिज कर दिया गया, जब सीबीआई के वकील ने पेश होकर बताया कि उन्हें कोर्ट से जो भी मिल रहा है, उसे स्वीकार करने के निर्देश हैं।
जस्टिस गवई ने इस बिंदु पर दोहराया,
“कल मत आना, नहीं तो सीबीआई को खर्च और तारीफ करनी होगी।”
संक्षेप में मामला
अगस्त 2020 में रिया, उनके भाई शोविक, उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल इंद्रजीत चक्रवर्ती (सेना के दिग्गज) और उनकी मां संध्या (जो सेना के स्कूलों में शिक्षिका के रूप में काम करती थीं) के खिलाफ एलओसी जारी की गई थी । यह तब हुआ जब राजपूत के परिवार ने पटना में उनकी मौत की जांच की मांग करते हुए एफआईआर दर्ज की। बाद में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।
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एलओसी को रद्द करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाया कि इसे जारी करने के लिए कोई ‘कारण’ नहीं बताया गया। इसके अलावा, समेकित दिशानिर्देशों के तहत अनिवार्य रूप से एलओसी की समीक्षा नहीं की गई।
न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि चक्रवर्ती समाज से जुड़े हुए हैं। उन्होंने जांचकर्ताओं के साथ सहयोग किया। इसके अलावा, केवल एफआईआर का सार देना ही पर्याप्त नहीं था। सीबीआई को एलओसी जारी करने का अनुरोध करने के लिए उचित कारण बताने चाहिए थे।
हाईकोर्ट ने कहा,
“एलओसी को अनिश्चित काल तक लंबित नहीं रखा जा सकता, इस मामले में साढ़े तीन साल से अधिक समय तक हालांकि याचिकाकर्ताओं ने जांच में सहयोग किया है, जिस तथ्य पर विवाद नहीं किया गया। यात्रा करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। कानून द्वारा स्थापित उचित प्रक्रिया के अलावा इसे कम नहीं किया जा सकता।”
निर्णय पर रोक लगाने का अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया।
हालांकि, हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में ऐसा अवसर आता है तो एजेंसियां याचिकाकर्ताओं के खिलाफ नए एलओसी जारी कर सकती हैं।
केस टाइटल: अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और अन्य बनाम शोविक इंद्रजीत चक्रवर्ती
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साभार: लाइव लॉ
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