आगरा / नई दिल्ली 17 सितंबर ।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 17 सितंबर को विकिपीडिया को निर्देश दिया कि वह आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले में पीड़िता का नाम अपने पन्नों से हटा दे।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अपराध पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए स्वत: संज्ञान मामले में यह निर्देश पारित किया।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि विकिपीडिया पर अभी भी पीड़िता का नाम और फोटो मौजूद है।
वकील ने पीठ को बताया कि जब विकिपीडिया से नाम हटाने को कहा गया तो उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि ” उन्हें सेंसर नहीं किया जा सकता। “
एसजी ने कहा कि यह “सेंसरिंग” नहीं है, क्योंकि कानून के अनुसार बलात्कार पीड़िता की पहचान गुप्त रखी जानी चाहिए।
Also Read - आरजी कर हॉस्पिटल केस – आप यह नहीं कह सकते कि महिला डॉक्टर रात में काम नहीं कर सकतीं, आपकी ड्यूटी सुरक्षा करना है’: सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने उल्लेख किया कि इससे पहले 20 अगस्त को सभी सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्लेटफॉर्म से पीड़िता का नाम और फोटो हटाने का निर्देश दिया गया।
पीठ ने विकिपीडिया को इस निर्देश का अनुपालन करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा,
“मृतक की गरिमा और निजता बनाए रखने के हित में शासन सिद्धांत यह है कि बलात्कार और हत्या के मामले में पीड़ित की पहचान का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।”
तस्वीर के बारे में पीठ को बताया गया कि यह पीड़िता की वास्तविक तस्वीर नहीं है, बल्कि प्रतिनिधित्व के उद्देश्य से इस्तेमाल की गई एक कलात्मक छाप है।
Also Read - आर जी कर हॉस्पिटल मामला- सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में जो खुलासा किया, वह परेशान करने वाला : सुप्रीम कोर्ट
एक अन्य वकील ने पीठ को बताया कि विकिपीडिया पेज के फुटनोट में उद्धृत लेख में पीड़िता की तस्वीर है।
सीजेआई ने कहा कि आदेश को संपादित करते समय पीठ इस मुद्दे का ध्यान रखेगी।
Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp – Group Bulletin & Channel Bulletin
- आगरा में आयोजित प्रथम ज्यूडिशियल एम्प्लॉयज़ टी 20 क्रिकेट टूर्नामेंट का फाइनल रविवार को - April 20, 2025
- बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में नाबालिग छात्रा को पुलिस को पेश करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खौफ से थाने में हाजिर हुई छात्रा - April 20, 2025
- चैक डिसऑनर आरोपी को 6 माह कैद और 8 लाख,96 हजार 800 रुपये के अर्थ दंड की सज़ा - April 20, 2025