जिला और तहसील न्यायालयों में अधिवक्ताओं की बदहाली पर वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद मिश्रा ने जताई चिंता, बार काउंसिल यूपी से की त्वरित कार्रवाई की मांग

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आगरा: ३ जून ।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ताओं के लिए एक भव्य भवन के उद्घाटन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, आगरा जनपद न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के प्रत्याशी सदस्य अरविंद मिश्रा ने जनपद एवं तहसील न्यायालयों में अधिवक्ताओं की दयनीय कार्यस्थल स्थितियों पर गहरी चिंता जताई है।

उन्होंने कहा कि एक ओर जहां उच्च न्यायालय स्तर पर सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं, वहीं जिला और तहसील स्तर पर अधिवक्ताओं को मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ रहा है।

मिश्रा के अनुसार, जनपद न्यायालयों में अधिवक्ताओं के लिए कार्यस्थल की व्यवस्था एक विकराल समस्या बन चुकी है। उन्होंने इस ओर न्यायपालिका, राज्य सरकार और प्रदेश बार काउंसिल द्वारा उदासीनता बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं के लिए पर्याप्त और सम्मानजनक बैठने की व्यवस्था का घोर अभाव है, जिससे विशेष रूप से नए अधिवक्ता प्रभावित हो रहे हैं।

उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा,

“लंबे समय से अधिवक्ता बंधु किसी पेड़ के नीचे या किसी दीवार के सहारे गर्मी, वर्षा तथा जाड़ों में टिन शेड में बैठकर अपना व्यवसाय कर रहे हैं। अब तो ऐसी स्थिति आ गई है कि कनिष्ठ अधिवक्ता सड़क पर, और शौचालयों की दीवार के सहारे बैठने को विवश हैं।”

मिश्रा ने जोर देकर कहा कि कहने को तो न्यायालय परिसरों की व्यवस्था न्यायपालिका की जिम्मेदारी है, परंतु अधिवक्ताओं की समस्याओं के प्रति यह उदासीनता एक ज्वालामुखी का रूप लेती जा रही है, जिसके फटने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

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अरविंद मिश्रा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष लगभग 30,000 से 40,000 नए अधिवक्ता पंजीकरण करवा रहे हैं, जिससे यह समस्या और भी गंभीर होती जा रही है, क्योंकि वर्तमान में सभी अधिवक्ताओं को एक ही समय पर न्यायालय परिसर में उपस्थित रहना पड़ता है।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने न्यायालय परिसरों में वाहन पार्किंग की गंभीर समस्या की ओर भी ध्यान दिलाया, जिसके कारण सड़कों पर यातायात व्यवस्था चरमरा रही है। मिश्रा ने उच्च न्यायालय, प्रदेश सरकार, प्रदेश बार काउंसिल, और जिला व तहसील बार एसोसिएशन से इस मामले में गंभीरता से विचार-विमर्श कर शीघ्र कार्यवाही करने की मांग की है, ताकि समय रहते इस बड़ी समस्या का समाधान किया जा सके।

क्या बार काउंसिल उत्तर प्रदेश और न्यायपालिका इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देगी और अधिवक्ताओं की बुनियादी समस्याओं का समाधान करेगी ?

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विवेक कुमार जैन
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