पटना हाईकोर्ट ने गया कॉलेज के लिए नियमित प्राचार्य की नियुक्ति का दिया आदेश

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आगरा/पटना 14 अक्टूबर ।

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में मगध यूनिवर्सिटी और उसके कुलपति सहित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दो महीने के भीतर मिर्जा गालिब कॉलेज गया के लिए नियमित प्राचार्य की नियुक्ति करें, जो सात वर्षों से प्रभारी प्रोफेसर के साथ प्राचार्य के रूप में कार्य कर रहा है।

जस्टिस नानी टैगिया की एकल न्यायाधीश पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि कोई कॉलेज लंबे समय तक प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्यरत प्रभारी प्रोफेसर के माध्यम से कार्य करना जारी नहीं रख सकता, जैसा कि 2017 से इस मामले में मामला रहा है।

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हाईकोर्ट ने कहा,

“जब कॉलेज के प्राचार्य को प्रशासनिक प्रमुख के रूप में नियुक्त करने के लिए कानून मौजूद है तो कॉलेज को इतने लंबे समय तक कॉलेज के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्य करने के लिए प्रोफेसर-प्रभारी के माध्यम से कार्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जो कि वर्तमान मामले में 2017 से जारी है।”

इन परिस्थितियों में बिहार राज्य यूनिवर्सिटी एक्ट, 1976 के अधिदेश और कॉलेज के प्राचार्य की नियुक्ति के लिए कुलाधिपति द्वारा अनुमोदित क़ानूनों को ध्यान में रखते हुए इस रिट याचिका का निपटारा प्रतिवादियों को निर्देश देते हुए किया जाता है कि वे मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज गया के नियमित प्राचार्य की नियुक्ति के लिए तुरंत कानून के अनुसार कदम उठाएँ, जिसे आज से दो महीने के भीतर समाप्त किया जाएगा।

न्यायालय का यह आदेश कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. सुजात अली खान द्वारा दायर रिट याचिका पर आया, जिसमें मगध यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार द्वारा जारी एक पत्र को चुनौती दी गई।

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पत्र में मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज के सचिव को याचिकाकर्ता को प्राचार्य के रूप में जारी रहने से रोकने का निर्देश दिया गया था। प्रोफेसर-इन-चार्ज के पद पर नियुक्त किया गया तथा जांच रिपोर्ट के परिणाम आने तक उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाएगी।

डॉ. खान वर्ष 2017 से नियमित प्राचार्य की अनुपस्थिति में कॉलेज के प्रोफेसर-इन-चार्ज के पद पर कार्यरत थे।

कॉलेज प्रबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर एडवोकेट अमित श्रीवास्तव ने न्यायालय के समक्ष पुष्टि की कि इस विस्तारित अवधि के दौरान कॉलेज में नियमित प्राचार्य नहीं है।

न्यायालय ने उल्लेख किया कि मिर्जा गालिब कॉलेज, गया, सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत सोसाइटी है। इसके उपनियमों के तहत कार्य करता है।

न्यायालय ने उल्लेख किया कि कॉलेज को अल्पसंख्यक कॉलेज भी कहा गया, जो मगध यूनिवर्सिटी, गया से संबद्ध है तथा बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976-इसके तहत बनाए गए विभिन्न क़ानूनों तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों द्वारा शासित है।

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बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 57(ए)(5) पर विस्तार से बताते हुए न्यायालय ने कहा कि अल्पसंख्यक महाविद्यालयों में प्राचार्य सहित शिक्षकों की नियुक्ति महाविद्यालय के शासी निकाय द्वारा विश्वविद्यालय द्वारा गठित चयन समिति की स्वीकृति से की जानी चाहिए। धारा 57(बी) इस चयन समिति की संरचना को रेखांकित करती है।

अदालत ने इस प्रकार उल्लेख किया कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम कुलाधिपति द्वारा अनुमोदित विधियों के साथ महाविद्यालय के प्राचार्य की नियुक्ति की विधि और तरीके का प्रावधान करता है।

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याचिका का निपटारा करते हुए न्यायालय ने कहा,

“यदि प्रतिवादी अधिकारी ऊपर निर्धारित अवधि के भीतर मिर्जा गालिब कॉलेज, गया के नियमित प्राचार्य की नियुक्ति करने में विफल रहते हैं तो याचिकाकर्ता, जिसे 05.03.2023 को कॉलेज के प्रशासनिक प्रभारी के रूप में कार्य करने के लिए प्रभारी प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया, को बहाल किया जाएगा।”

केस टाइटल: डॉ. शुजात अली खान बनाम बिहार राज्य

Order / Judgement – Dr.-Shujaat-Ali-Khan-vs-The-State-of-Bihar

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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