मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नेशनल टास्क फोर्स का हुआ गठन

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कौन कौन बने है सदस्य जानिए और क्या दिया है सर्वोच्च अदालत ने आदेश ?

आगरा/ नई दिल्ली 20 अगस्त।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा में कमी से संबंधित प्रणालीगत मुद्दों को संबोधित करने के लिए पूरे देश में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों पर सिफारिशें देने के लिए नेशनल टास्क फोर्स के गठन का आदेश दिया है।

नेशनल टास्क फोर्स को मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे देश में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों पर सिफारिशें देनी हैं।
इस के सदस्य निम्नलिखित हैं:

1. सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन एवीएसएम, वीएसएम, महानिदेशक मेडिकल सेवाएं (नौसेना)

2. डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और एआईजी हॉस्पिटल्स, हैदराबाद

3. डॉ. एम श्रीनिवास, निदेशक, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली

4. डॉ. प्रतिमा मूर्ति, निदेशक, निमहंस, बैंगलोर

5. डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, कार्यकारी निदेशक, एम्स जोधपुर

6. डॉ. सौमित्र रावत, अध्यक्ष, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी संस्थान और प्रबंधन बोर्ड के सदस्य, गंगाराम अस्पताल, दिल्ली

7. प्रो. अनीता सक्सेना, कुलपति, पंडित डीडी शर्मा मेडिकल यूनिवर्सिटी, रोहतक

8. डॉ. पल्लवी सैपले, डीन ग्रांट मेडिकल कॉलेज मुंबई और सर जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, मुंबई

9. डॉ. पद्मा श्रीवास्तव, पूर्व प्रोफेसर, न्यूरोलॉजी विभाग, एम्स दिल्ली और वर्तमान में पारस हेल्थ में न्यूरोलॉजी की अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।

निम्नलिखित अधिकारी नेशनल टास्क फोर्स के पदेन सदस्य होंगे:

(1) भारत सरकार के कैबिनेट सचिव

(2) भारत सरकार के गृह सचिव

(3) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव

(4) नेशनल मेडिकल कमीशन के अध्यक्ष

(5) राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष

नेशनल टास्क फोर्स को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया आदेश :

नेशनल टास्क फोर्स मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा, कार्य स्थितियों और कल्याण से संबंधित सिफारिशें करेगा।

नेशनल टास्क फोर्स अपनी कार्य योजनाओं को दो शीर्षकों के अंतर्गत वर्गीकृत कर सकता है –

(1) मेडिकल पेशेवरों के खिलाफ जेंडर आधारित हिंसा सहित हिंसा को रोकना

(2) ट्रेनी रेजिडेंट्स, सीनियर रेजिडेंट्स, डॉक्टरों, नर्सों और सभी मेडिकल पेशेवरों के लिए सम्मानजनक और सुरक्षित कार्य स्थितियों के लिए लागू करने योग्य राष्ट्रीय प्रोटोकॉल प्रदान करना।

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न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ‘चिकित्सा पेशेवरों’ शब्द में डॉक्टर, इंटर्नशिप कर रहे छात्र, रेजिडेंट डॉक्टर और वरिष्ठ निवासी डॉक्टर के साथ-साथ नर्स भी शामिल हैं
नेशनल टास्क फोर्स जहां भी उचित हो, अतिरिक्त सुझाव देने का हकदार है। नेशनल टास्क फोर्सअस्पतालों में सुविधाओं के आधार पर सिफारिशों को लागू करने के लिए उचित समयसीमा भी सुझाएगा।

नेशनल टास्क फोर्स को स्थिति की तात्कालिकता और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों से परामर्श करना आवश्यक है।

नेशनल टास्क फोर्स को इस आदेश की तिथि से 3 सप्ताह के भीतर अंतरिम रिपोर्ट और 2 महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

संघ और राज्यों को निम्नलिखित के बारे में अस्पतालों से डेटा एकत्र करना है:

(1) प्रत्येक अस्पताल में कार्यरत सुरक्षा कर्मियों की संख्या

(2) अस्पताल में कुल विश्राम कक्ष आदि

(3) इस बारे में जानकारी कि क्या अस्पताल के सभी क्षेत्र आम जनता के लिए सुलभ हैं

(4) सामान की जांच

 

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विवेक कुमार जैन
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