कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने हाल ही में वकीलों द्वारा अपने मामलों को शीघ्र सूचीबद्ध कराने पर जोर दिए जाने पर नाराजगी व्यक्त की।
आगरा /बेंगलुरु 12 दिसम्बर ।
कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने हाल ही में वकीलों द्वारा अपने मामलों को शीघ्र और तुरंत सूचीबद्ध करने के लिए कई ज्ञापन या अनुरोध प्रस्तुत करने पर आपत्ति जताई।
“उल्लेख ज्ञापन”अधिवक्ताओं द्वारा न्यायालय से किसी मामले की शीघ्र सुनवाई या किसी मामले की अत्यावश्यकता की स्थिति में उसे बिना बारी के सूचीबद्ध करने के लिए लिखित अनुरोध होता है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष अत्यावश्यक उल्लेख करने के लिए अधिवक्ता या तो लिखित ज्ञापन दाखिल कर सकते हैं और न्यायालय के समक्ष उसका उल्लेख कर सकते हैं या फिर ऑनलाइन ऐसा अनुरोध कर सकते हैं।
Also Read – इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि वकीलों की हड़ताल के दौरान भी जजों को काम जारी रखना चाहिए
10 दिसंबर को न्यायाधीश ने सभी अधिवक्ताओं से न्यायालय कक्ष में शिष्टाचार बनाए रखने और एक-दूसरे पर बोलने की कोशिश न करने का आग्रह किया और उन्हें एक ही मामले के लिए कई ज्ञापन पेश करने से भी परहेज करने को कहा।
एकल न्यायाधीश ने आगे कहा कि
उनकी अदालत को “पिछले 29 दिनों” में पहले ही 7,500 ज्ञापन प्राप्त हो चुके हैं, और उनमें से उन्होंने 5,300 मामलों को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
न्यायालय ने यह टिप्पणी उस समय की जब 10 दिसंबर की सुबह अधिवक्तागण सुनवाई के लिए जल्दी तारीखें प्राप्त करने के लिए न्यायालय कक्ष में एकत्रित हुए।
एक अधिवक्ता ने न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना से बार-बार सुनवाई की जल्दी तारीख देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वे इस मामले के लिए 29 बार ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन इसे अभी तक सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
Also Read – ताजमहल/तेजोमहादेव केस की अगली सुनवाई 13 जनवरी को
इसके बाद न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे कई अधिवक्ता हैं जो एक ही मामले के लिए कई ज्ञापन दे रहे हैं, लेकिन उन्हें तारीखें नहीं मिल रही हैं।
उन्होंने कहा कि वे किसी भी दिन अधिक से अधिक मामलों को सूचीबद्ध करने और सुनवाई करने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई केवल इतना ही कर सकता है।
Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp – Group Bulletin & Channel Bulletin
साभार: बार & बेंच
- आगरा में आयोजित प्रथम ज्यूडिशियल एम्प्लॉयज़ टी 20 क्रिकेट टूर्नामेंट का फाइनल रविवार को - April 20, 2025
- बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में नाबालिग छात्रा को पुलिस को पेश करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खौफ से थाने में हाजिर हुई छात्रा - April 20, 2025
- चैक डिसऑनर आरोपी को 6 माह कैद और 8 लाख,96 हजार 800 रुपये के अर्थ दंड की सज़ा - April 20, 2025