अधिवक्ता की पुनर्निरीक्षण याचिका सेशन कोर्ट ने की स्वीकार
अधीनस्थ न्यायालय का आदेश किया निरस्त
आगरा 11 फरवरी ।
अधिवक्ता से रिश्वत मांगने एवं मारपीट करने के आरोप में सीएमओ डॉक्टर अरुण श्रीवास्तव, डिप्टी सीएमओ डॉक्टर नंदन सिंह, महिला डॉक्टर भाग्यश्री तथा लिपिक मनीष निगम की मुश्किलें बढ़ गई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र गुप्ता धीरज ने सीजेएम की कोर्ट में एक वाद प्रस्तुत किया था कि उनकी पुत्री गर्विता ने अपनी मृतक मां पुलिस इंस्पेक्टर श्रीमती शकुंतला गुप्ता की मृत्यु के बाद पुलिस में अनुकम्पा नौकरी के लिए आवेदन किया था ।
जिसके मेडिकल के लिए डॉक्टर अरुण श्रीवास्तव सीएमओ एवं अन्य व्यक्तियों द्वारा रुपए की मांग की गई लेकिन जब अधिवक्ता ने इसका विरोध किया तो उनके साथ उक्त लोगों द्वारा मारपीट की गई और जान से मारने की धमकी दी गई।
उक्त वाद में सीजेएम कोर्ट द्वारा चारों आरोपियों को धारा 223 बी एन एस के तहत नोटिस देकर तलब किया था। लेकिन कई बार नोटिस देने के बाद उक्त चारों आरोपीगण कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुए तब अधिवक्ता के आग्रह पर सीजेएम कोर्ट ने चारों आरोपी डॉक्टर को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होकर अपना स्पष्टीकरण रखने के लिए कहा था।
सीजेएम कोर्ट मे चारों आरोपियों ने उपस्थित होकर उक्त वाद का विरोध किया । सीजेएम ने अधिवक्ता राजेंद्र गुप्ता धीरज द्वारा दायर वाद को 3 अगस्त 2024 को निरस्त कर दिया था ।अधिवक्ता ने सीजेएम के उक्त आदेश के विरोध में रिवीजन सेशन कोर्ट में प्रस्तुत की।
जिसमें स्पेशल जज दस्यु प्रभावित क्षेत्र माननीय दिनेश तिवारी ने दोनों पक्षो की ओर से बहस सुनने के बाद सीजेएम द्वारा पारित आदेश दिनांक 3 अगस्त 2024 को निरस्त करते हुए अधिवक्ता की रिवीजन स्वीकार करते हुए अधीनस्थ न्यायालय को पुनः सुनवाई कर उचित धाराओं में आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
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