आगरा अदालत में चल रहे राणा सांगा मामले में पोषणीयता पर हुई बहस, अगली सुनवाई 23 मई को

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आगरा 10 अप्रैल ।

राणा सांगा मामले में विचाराधीन प्रकीर्ण वाद- 128/2025, अजय प्रताप सिंह आदि बनाम अखिलेश यादव आदि की पोषणीयता पर बहस आगरा सिविल न्यायालय सीनियर डिवीजन में माननीय अचल प्रताप सिंह के समक्ष हुई।

वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने माननीय न्यायालय को बताया कि सपा सांसद द्वारा लगातार राणा सांगा को गद्दार कहा गया है । जबकि बाबरनामा और वर्ष 1883-84 के लाहौर गजेटियर के अनुसार बाबर को इब्राहीम लोदी के विरूद्ध भारत पर आक्रमण करने के लिए पंजाब के गवर्नर दौलत खान लोदी ने बुलाया था।

राणा सांगा एक ऐतिहासिक चरित्र है जो सभी भारतीयों के लिए राष्ट्रवाद और बलिदान का एक प्रेरणा स्रोत है । जिस कारण वह भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 क(च) के अनुसार हर भारतीय का यह मूल कर्तव्य है कि वह भारत की संस्कृति का परिरक्षण करे और संसद सरकार का एक अंग है और रामजीलाल सुमन व अखिलेश यादव संसद सदस्य है । जिस कारण उनका बयान राज्य की परिधि में आता है जो वादी के मूल अधिकार अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है ।

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उन्होंने न्यायालय को बताया कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 राज्य को धर्म, जाति, मूल वंश के आधार पर विभेद करने से रोकता है। अतः वादी का माननीय न्यायालय से अनुतोष पाने का अधिकार है और माननीय न्यायालय को इस वाद को सुनने व निर्णीत करने का क्षेत्राधिकार प्राप्त है।

वादी अधिवक्ता ने माननीय न्यायालय को बताया कि वादपत्र के कथनों व दस्तावेजों के विवरण से यह स्पष्ट होता है कि बाबर को दौलतखान लोदी ने आमंत्रित किया था न राणा सांगा ने और 17 मार्च 1527 ई० को बाबर राणा सांगा के बीच सीकरी किले पर हुआ था न कि खानवा में । अतः यह वाद पोषणीय है।

माननीय न्यायालय ने सुनवाई की अगली तिथि 23 मई नियत की है।

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विवेक कुमार जैन
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