जिले के सबसे जरूरतमंद बुजुर्गों पर खर्च की जाएगी यह राशि
आगरा /प्रयागराज 18 दिसंबर ।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिविल कोर्ट से निषेधाज्ञा के बावजूद चिकित्सा प्रतिष्ठान चलाने संबंधी लाइसेंस के नवीनीकरण से इन्कार करने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहारनपुर पर एक लाख का हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने टिप्पणी की “सीएमओ की कार्रवाई से कानूनी दुर्भावना की बू आती है।
न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने कहा है कि एक लाख रुपये की वसूली सीएमओ के निजी खाते से कर जिला मजिस्ट्रेट के खाते में जमा की जाए। यह जिले में सबसे जरूरतमंद वरिष्ठ नागरिकों को न्यूनतम भरण-पोषण भत्ते के रूप में दी जाएगी। खंडपीठ ने कहा-वर्तमान मामले के तथ्यों में जो अक्षम्य है वह यह है कि विवादित प्रशासनिक आदेश न केवल न्यायिक आदेश (हाईकोर्ट से पारित) की अवहेलना में पारित किया गया बल्कि संभागीय आयुक्त द्वारा पेश विपरीत प्रशासनिक आदेश के अनुपालन में भी है।
कोर्ट ने टिप्पणी की- न्यायिक आदेश से पहले सिविल जज (सीनियर डिवीजन) का आदेश सीएमओ को दे दिया गया तो उसका कड़ाई से अनुपालन कराना उनका परम कर्तव्य था। किसी वरिष्ठ प्रशासनिक प्राधिकारी द्वारा दिए गए गलत प्रशासनिक आदेश का पालन करना उसका काम नहीं था।
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मुकदमे से जुड़े तथ्यों के अनुसार प्रतिवादी ऊषा गुप्ता पत्नी डा. स्व.अरुण कुमार जैन ने बाजोरिया रोड, सहारनपुर में मेडिकल प्रतिष्ठान/नर्सिंग होम चलाने के लिए एक लाख रुपये प्रतिमाह किराये पर डा. अंशुल गुप्ता को अनन्या हेल्थ सेंटर व अन्य के पक्ष में किरायानामा निष्पादित किया। यह एक अप्रैल 2023 से 29 फरवरी 2024 तक 11 महीने के लिए था। डीड के समय अरुण कुमार जैन जीवित थे। उनका 22 जून 2023 को निधन हो गया।
याची ने पट्टे की समाप्ति के बाद भी विवादित परिसर पर कब्जा बनाए रखा और किराया विलेख के आधार पर हेल्थ सेंटर का पंजीकरण प्राप्त किया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी, ने 16 मई 2023 को पंजीकरण प्रदान किया जो 30 अप्रैल 2024 तक वैध था। किरायानामा का नवीनीकरण नहीं कराया गया तो याची को परिसर से बेदखल करने के लिए केस दायर किया गया। वजह विवाद बताई। याची को मासिक किराये के भुगतान की शर्त पर अस्थायी निषेधाज्ञा मिली थी, इसे चुनौती नहीं दी गई थी।
याची ने स्वास्थ्य केंद्र पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया तो प्रतिवादियों ने आपत्ति दर्ज की। मंडलायुक्त ने कहा कि सीएमओ बिना वैध किरायानामा लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कर सकता। जिलाधिकारी ने सीएमओ को बिना अनुमति स्वास्थ्य केंद्र चलाने पर याची के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया।
इसके बाद सीएमओ ने नवीनीकरण आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया कि कोई वैध किराया समझौता नहीं था। इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि संपत्ति पर अधिकार को लेकर विवाद याची के मेडिकल लाइसेंस का नवीनीकरण न देने का आधार नहीं हो सकता।
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सीएमओ को दोनों पक्षों को सुनने के बाद नए आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया। सीएमओ ने किराया समझौते के नवीनीकरण और पोर्टल पर अपलोड होने तक हेल्थ सेंटर का परिचालन बंद करने का निर्देश दिया।
इस आदेश को भी हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। याची ने कहा- सीएमओ ने पहले वाले आदेश को दोहराया है। राज्य के वकील ने तर्क दिया कि प्रतिष्ठान का नवीनीकरण/पंजीकरण चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की वेबसाइट पर अपलोड आवेदन पत्र में नैदानिक प्रतिष्ठान (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम, 2010 के अनुरूप किया जाना था, ऐसा नहीं किया गया।
न्यायालय ने माना कि सीएमओ द्वारा निपटान का प्रयास वैध था, हालांकि याची के नवीनीकरण आवेदन को अस्वीकार नहीं करना था जब किरायेदारी के संबंध में विवाद सिविल कोर्ट के समक्ष लंबित है।
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