आगरा 19 अगस्त । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक नाबालिग 12 वर्षीय बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी पुजारी को जमानत देने से इनकार कर किया। मंदिर के इस पुजारी पर 10 फरवरी 2024 में मंदिर के पास एक अनाथ बच्चे के साथ कुकृत्य के आरोप में धारा 377 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अपराध की गंभीरता और पीड़ित के बयानों पर विचार करते हुए उच्च न्यायालय के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने आरोपी पुजारी जमुना गिरी को जमानत देने से इनकार किया।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “पीड़ित, जो लगभग 12 वर्ष का नाबालिग है, उसके बयान के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि आवेदक पुजारी ने ऐसा अपराध किया, जिसने इस न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोर दिया। ऐसा कोई ठोस कारण नहीं है कि पीड़ित आरोपी पुजारी के खिलाफ इस प्रकार का बयान दे।”
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़ित 12 वर्षीय लड़का है, जो पहले ही अपने माता-पिता को खो चुका है। वह मेला देखने गया था और जब वह वापस नहीं लौटा तो उसके चाचा उसे खोजने गए और उसे रोते हुए पाया।
पूछे जाने पर पीड़ित ने कहा कि आवेदक-आरोपी उसे एक मंदिर के पास ले गया और उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए। नतीजतन, आरोपी आवेदक को 10 फरवरी, 2024 को गिरफ्तार कर लिया गया।
मामले में जमानत की मांग करते हुए आरोपी पुजारी ने हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें उसके वकील ने अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि गांव की दुश्मनी के कारण उसे वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया।
यह भी तर्क दिया गया कि सूचना देने वाला (बच्चे का चाचा) चाहता है कि उसे मंदिर से हटा दिया जाए। इस तरह उसके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज की गई।
यह भी तर्क दिया गया कि चोट की रिपोर्ट में धारा 377 आईपीसी के तहत अपराध का उल्लेख नहीं है और जांच के दौरान कोई बाहरी चोट नहीं पाई गई। इसलिए यह प्रार्थना की गई कि उसे जमानत पर रिहा किया जाए।
दूसरी ओर, एजीए ने जमानत की प्रार्थना का विरोध किया और कहा कि आवेदक के अपराध ने उसकी अंतरात्मा को झकझोर दिया।
इस पृष्ठभूमि में आवेदक द्वारा किए गए कथित अपराध की गंभीरता और पीड़ित के बयान पर विचार करते हुए न्यायालय ने उसे जमानत देने का कोई प्रथम दृष्टया कारण नहीं पाया।
