गाजियाबाद कोर्ट हिंसा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दायर करने का लिया संकल्प

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आगरा /प्रयागराज 4 नवंबर ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसो‌‌सिएशन ने हाल ही में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के आदेश पर गाजियाबाद कोर्ट में अधिवक्ताओं के खिलाफ किए गए लाठीचार्ज की न‌िंदा की।

एसोसिएशन की ओर से पारित एक प्रस्ताव में न्यायिक अधिकारी (न्यायाधीश अनिल कुमार-एक्स) के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज करने का निर्णय लिया गया।

अपने प्रस्ताव में एसोसिएशन ने गाजियाबाद में अधिवक्ताओं के खिलाफ हुई ‘अनुचित’ हिंसा के विरोध में 4 नवंबर को न्यायिक कार्य से दूर रहने का भी फैसला किया।

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एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश और संबंधित पुलिस अधिकारियों को तत्काल सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए और घायल अधिवक्ताओं को अविलंब मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए ।

बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति ने यह भी संकल्प लिया है कि हाईकोर्ट को ऐसे ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि किसी अन्य जिला अदालत में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

प्रस्ताव में कहा गया है कि हाईकोर्ट में आपराधिक अवमानना संदर्भ की सुनवाई के दरमियान अधिवक्ताओं को अपना मामला पेश करने से रोका जाता है और अदालत कक्ष में बिना शर्त माफी मांगने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसके साथ अक्सर पुलिस की बर्बरता भी होती है।

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद की कार्यकारी समिति ने एक आपातकालीन बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया, जिसकी अध्यक्षता अध्यक्ष अनिल तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता और संचालन महासचिव अधिवक्ता विक्रांत पांडे, एडवोकेट ने किया।

कार्यकारी समिति ने वर्तमान परिदृश्य पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अदालतें अधिवक्ताओं को कई मोर्चों पर परेशान कर रही हैं।

प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि कोई वकील किसी न्यायिक अधिकारी के ‘गलत’ कार्यों के खिलाफ आपत्ति उठाता है, तो अधिकारी आपराधिक अवमानना के लिए मामले को तुरंत हाईकोर्ट में भेज देता है। इसके अलावा, अधिवक्ताओं को अतिरिक्त उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, और यदि वे ऐसे न्यायिक अधिकारियों के मनमाने कार्यों के विरोध में हड़ताल करना चुनते हैं, तो उन्हें अवमानना कार्यवाही की धमकी दी जाती है।

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प्रस्ताव में कहा गया है,

“कुल मिलाकर, यह स्पष्ट होता जा रहा है कि अधिवक्ता किसी भी तरह से अपनी बात कहने का अधिकार खो रहे हैं। यह स्थिति असहनीय है और इसे किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा।”

समिति ने यह भी मांग की है कि यदि हाईकोर्ट इस मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय तथ्यान्वेषी समिति का गठन करता है, तो हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद द्वारा प्रस्तावित और नामित अधिवक्ता का प्रतिनिधित्व भी आवश्यक होगा; अन्यथा, प्रस्तुत रिपोर्ट अस्वीकार्य होगी।

बैठक में राजेश खरे (वरिष्ठ उपाध्यक्ष), अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, अखिलेश कुमार मिश्र, सुभाष चंद्र यादव, नीरज त्रिपाठी, नीलम शुक्ला (उपाध्यक्ष), सुमित कुमार श्रीवास्तव (संयुक्त सचिव प्रशासन), अभिजीत कुमार पांडे (संयुक्त सचिव पुस्तकालय), पुनीत कुमार शुक्ला (संयुक्त सचिव प्रेस), आंचल ओझा (संयुक्त सचिव महिला), रण विजय सिंह (कोषाध्यक्ष), अभिषेक मिश्रा, अवधेश कुमार मिश्रा, अभिषेक तिवारी, राजेश शुक्ला, वेद प्रकाश ओझा, अमरनाथ त्रिपाठी और ब्रजेश कुमार सिंह सेंगर मौजूद रहे।

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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