आगरा 5 सितंबर।
अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश (एस०सी०/एस०टी० एक्ट), आगरा माननीय राजेन्द्र प्रसाद ने हाकिम सिंह बनाम अशोक, आदि मामले में याची द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए थाना सदर बाजार को आदेशित दिया कि याची के प्रार्थनापत्र में कथित तथ्यों के आधार पर समुचित धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करके सक्षम प्राधिकारी से विवेचना कराया जाना सुनिश्चित करें।
मामले के अनुसार न्यू गोपाल पुरा निवासी हाकिम सिंह ने विपक्षीगण अशोक, सुनील, दीपू व पूनम के विरूद्ध थाना सदर बाजार आगरा को एक एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था।
लेकिन थाने पर कोई कार्यवाही न होने के कारण उन्होंने न्यायालय का रुख किया था और 323, 504, 506, 307 आईपीसी एवम 3(1) द. ध .3(2)V के अंतर्गत प्रार्थना पत्र दिया था।
घटनाक्रम के अनुसार हाकिम सिंह पुत्र श्री किशनलाल, निवासी- न्यू गोपालपुरा के पुत्र रवि कुमार ने 8 दिसंबर 2022 को हिन्दू रीति रिवाज के साथ पूनम पुत्री अशोक कुमार, निवासी 31एम/15, मित्रपुरम कॉलौनी, कहरई मोड़, शमसाबाद रोड, आगरा के साथ प्रेम-विवाह किया था।
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विवाह के बीस दिन तक पूनम अपनी ससुराल में रही। उसके बाद वह अपने भाई दीपू के साथ मायके चली गई तब वह अपने सारे कपड़े व 12 तोले सोने और एक किलो चाँदी के जेवर के साथ 25,000/- रूपये लेकर गई थी।
इसी दौरान पूनम के गर्भवती होने पर पूरी देखभाल और खर्चा उसके पुत्र रवि ने वहन किया। पूनम ने 19 मार्च 2024 दिनांक एक पुत्र को जन्म दिया, तब भी हॉस्पीटल का पूरा खर्चा करीब 50 हजार रूपये उसके पति पुत्र रवि कुमार ने दिया था।
हॉस्पीटल से छुट्टी होने के बाद पूनम को उसके भाई सुनील व पिता अशोक कुमार जबरदस्ती अपने साथ ले गये। इसके बाद पूनम के पिता अशोक कुमार व उसके दोनों पुत्र सुनील और दीपू ने हाकिम सिंह से एक लाख की मांग की और उसके इंकार करने पर उसके साथ अभद्रता की, जाति सूचक गालियां दी।
इसके बाद कई बार और फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी गई, गले पर चाकू रखकर जान से मारने की धमकी दी गई। तब प्रार्थी ने पुलिस के उच्चाधिकारी को शिकायत भी की लेकिन प्रार्थी की रिपोर्ट दर्ज नहीं की, और न ही कोई कार्यवाही हुई, तब न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया गया। इस मामले की वादी की तरफ से पैरवी विद्वान अधिवक्ता नरेश कुमार द्वारा की गई।
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सुनवाई के बाद न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश (एस०सी० / एस०टी० एक्ट) माननीय राजेंद्र प्रसाद ने आदेशित किया कि प्रार्थनापत्र में वर्णित तथ्यों के आधार पर विपक्षीगण द्वारा प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध किया जाना प्रतीत होता है। ऐसी स्थिति में प्रार्थनापत्र के कथित तथ्यों की घटना के बाबत प्राथमिकी दर्ज कराकर विवेचना कराये जाने की आवश्यकता प्रतीत होती है।
प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थनापत्र अंतर्गत धारा-156 (3) दण्ड प्रकिया संहिता तद्नुसार स्वीकार किया जाता है। थानाध्यक्ष, थाना सदर बाजार, जिला आगरा को आदेशित किया जाता है कि प्रार्थनापत्र में कथित तथ्यों के आधार पर समुचित धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करके सक्षम प्राधिकारी से विवेचना कराया जाना सुनिश्चित करें।
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