इस फैसले से वंतारा द्वारा पशुओं के अधिग्रहण को लेकर चल रहे विवाद पर लग गया है विराम
आगरा/नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस फाउंडेशन के वंतारा (ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर), जामनगर, गुजरात, में पशुओं के अधिग्रहण को प्रथम दृष्टया नियामक ढांचे के अनुरूप पाया है।
अदालत ने इस मामले की जांच के लिए गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी ) की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, जिसमें पशुओं, विशेषकर हाथियों, के भारत और विदेशों से अधिग्रहण में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं पाई गई।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज, जस्टिस जे चेलमेश्वर, की अध्यक्षता वाली एसआईटी की रिपोर्ट पर विचार किया।
पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि एसआईटी को अपनी जांच में कोई अनियमितता नहीं मिली।
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जस्टिस मित्तल ने रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि
“पशुओं का अधिग्रहण… नियामक अनुपालन के तहत किया गया।”
रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर आपत्ति
सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वंतारा का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने एसआईटी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर आपत्ति जताई।
उन्होंने तर्क दिया कि रिपोर्ट को प्रकाशित करने से अनावश्यक अटकलों को बढ़ावा मिल सकता है और यह सुविधा की व्यावसायिक गोपनीयता से भी जुड़ी है।
साल्वे ने कहा कि वंतारा में जानवरों की देखभाल के तरीकों और अन्य संवेदनशील जानकारी को प्रतिद्वंद्वी संस्थाओं से बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि रिपोर्ट सार्वजनिक होने से मीडिया में नकारात्मक लेख आ सकते हैं, जिससे वंतारा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है।
अदालत का रुख और मामले को बंद करना
जस्टिस मित्तल ने साल्वे की चिंताओं को समझते हुए कहा कि अदालत रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करेगी और मामले को बंद कर रही है।
उन्होंने स्पष्ट किया,
“हम मामले को बंद कर रहे हैं और रिपोर्ट स्वीकार कर रहे हैं। हम किसी को भी इस तरह की आपत्तियां उठाने की अनुमति नहीं देंगे… हम समिति की रिपोर्ट से संतुष्ट हैं।”
अदालत ने कहा कि जब एक स्वतंत्र समिति ने सब कुछ जांच लिया है और कोई गड़बड़ी नहीं पाई है, तो अनावश्यक आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए।

जस्टिस मित्तल ने कहा कि देश में कुछ अच्छी चीजें होने दी जानी चाहिए और हमें उन पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कानून के अनुसार कोई हाथी का अधिग्रहण करता है, तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। उन्होंने मैसूर के दशहरे जुलूस में हाथियों के इस्तेमाल का उदाहरण भी दिया।
पीठ ने SIT की तत्परता की सराहना की और यह भी सुझाव दिया कि समिति के सदस्यों को मानदेय दिया जा सकता है।
केस विवरण
* केस: C.R. JAYA SUKIN Vs UNION OF INDIA
* केस नंबर: W.P.(C) No. 783/2025 Diary No. 44109 / 2025
* अदालत: सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
* बेंच: जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पीबी वराले
* SIT प्रमुख: जस्टिस जे चेलमेश्वर (सेवानिवृत्त)
इस फैसले से वंतारा द्वारा पशुओं के अधिग्रहण को लेकर चल रहे विवाद पर विराम लग गया है।
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