सुप्रीम कोर्ट ने लॉ स्टूडेंट को सलाह देने के इच्छुक सीनियर वकीलों की सूची प्रकाशित करने के नियम का पालन न करने पर राज्य बार काउंसिल से मांगा हलफनामा

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आगरा / नई दिल्ली 25 सितंबर ।

एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी राज्य बार काउंसिल से कहा कि जिन्होंने कॉलेज की छुट्टियों के दौरान लॉ स्टूडेंट को सलाह देने के इच्छुक अनुभवी वकीलों की सूची प्रकाशित करने के नियम का पालन नहीं किया, वे गैर-अनुपालन के कारणों को स्पष्ट करते हुए हलफनामा दाखिल करें।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और विधि शिक्षा नियम, 2008 की अनुसूची III के नियम 26 का अनुपालन न करने के संबंध में बार काउंसिल से स्पष्टीकरण मांगा।

कोर्ट ने आदेश दिया कि :

“जिन राज्य बार काउंसिल ने विधि शिक्षा नियम, 2008 की अनुसूची III के नियम 26 का अनुपालन नहीं किया, वे अनुपालन न करने के कारणों को बताते हुए हलफनामा दाखिल करेंगे। यदि संबद्ध बार एसोसिएशनों ने अनुपालन नहीं किया तो उन्हें कानून के अनुसार कदम उठाने होंगे। राज्य बार काउंसिल आज से बारह सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करेंगे।”

मामले को अगली बार जनवरी 2025 में सूचीबद्ध किया गया।

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संदर्भ के लिए, नियम 26 राज्य बार काउंसिल को बार में कम से कम 10 साल का अनुभव रखने वाले और ट्रेनी का मार्गदर्शन करने के लिए उत्तरदायी सीनियर वकीलों की जिलावार सूची तैयार करने का आदेश देता है। यह बार काउंसिल ऑफ इंडिया को इंटर्नशिप चाहने वाले लॉ स्टूडेंट के लाभ के लिए इस सूची को प्रकाशित और प्रसारित करने के लिए बाध्य करता है।

यह जनहित याचिका 2022 में दायर की गई, जिसमें कॉलेज की छुट्टियों के दौरान लॉ स्टूडेंट को सलाह देने के इच्छुक सीनियर वकीलों की सूची प्रकाशित करने की मांग की गई, जिससे लॉ शिक्षा और इंटर्नशिप के लिए अधिक समावेशी और समतावादी माहौल को बढ़ावा दिया जा सके। याचिकाकर्ता ने लॉ स्टूडेंट, विशेष रूप से प्रभावशाली संपर्कों की कमी वाले स्टूडेंट के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में चिंता जताई, जो सार्थक इंटर्नशिप हासिल करने में सामना करते हैं।

उन्होंने तर्क दिया कि सलाहकारों की सूची के प्रकाशन न होने से “कानूनी बिरादरी, विशेष रूप से लॉ स्टूडेंट को बहुत नुकसान हुआ है, जिन्हें वकीलों के सामने काम देने के लिए भीख मांगनी पड़ती है, जिससे वे सीख सकें।”

याचिका में यह भी विशेष रूप से बताया गया कि जिन स्टूडेंट के पास ऐसे कोई ‘संपर्क’ नहीं हैं, उन्हें अक्सर “खुद की देखभाल करने के लिए छोड़ दिया जाता है।”

अक्टूबर, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और राज्य बार काउंसिल से जवाब मांगा।

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पिछले साल मार्च में कोर्ट को BCI से आश्वासन मिला था कि उक्त सूची की तैयारी चल रही है। जल्द ही इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। यह भी बताया गया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें राज्य बार काउंसिल के सचिवों को 15 दिनों के भीतर अपनी-अपनी सूचियां संकलित करने का निर्देश दिया गया।

न्यायालय ने इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए वचनबद्धता दर्ज की।

इस वर्ष जनवरी में न्यायालय ने राज्य बार काउंसिल को निर्देश जारी किए, जिसमें उन्हें नियम 26 के अनुपालन के संबंध में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बाध्य किया गया।

यह संकेत दिया गया कि यदि गैर-अनुपालन जारी रहता है तो न्यायालय के पास एकमात्र विकल्प जुर्माना लगाना होगा।

केस टाइटल: नीरज सालोदकर बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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