■आगरा के एस.एन. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ धर्म सिंह के साथ हुई थी घटना
■प्राचार्य ने जूनियर डॉक्टरों के विरुद्ध दर्ज कराया था मुकदमा
■प्राचार्य को जमीन पर गिरा कर लात,घूंसे, जूते से मारपीट एवं जाति सूचक शब्द कहने का था आरोप
■अभियोजन पक्ष ने पेश किए 9 गवाह परन्तु सिद्ध नहीं हुए आरोप
■उपचार के दौरान मरीज की मौत के बाद तीमारदारों ने जूनियर डॉक्टरों से की थी मारपीट
■जिससे नाराज डॉक्टरों ने प्राचार्य के साथ घटना को दिया था अंजाम
आगरा 20 अगस्त। आगरा के एडीजे विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट राजेंद्र प्रसाद नेआगरा के एस. एन. मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य के साथ मारपीट, गाली, गलौज, धमकी, दलित उत्पीड़न एवं अन्य धाराओं में आरोपित चिकित्सक अरुण द्विवेदी, रत्नेश तिवारी, जगत पाल सिंह, अरविंद कुमार, दुपारगुडे अभिष्यंद भीमराव एवं करुण शंकर दिनकर को पर्याप्त सबूतों के अभाव एवं गवाहों द्वारा घटना का समर्थन नहीं करने के कारण आरोप मुक्त करने के आदेश पारित किए।
घटनाक्रम के अनुसार एस.एन. मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉक्टर धर्म सिंह ने थाना एम.एम. गेट में मामला दर्ज कराया की 9 अगस्त 2011 की रात्रि डॉ आर.बी.लाल ने इमरजेंसी विभाग से उन्हें फोन कर अवगत कराया कि 100-150 रेजीडेंट डॉक्टर इमरजेंसी में हंगामा कर रहे है और प्राचार्य मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं ।
जिस पर प्राचार्य ने तुरंत थाना एम.एम. गेट पुलिस को सूचना दी और स्वयंम भी वह पुलिस के साथ इमरजेंसी पहुंचे और हंगामा कर रहे रेजीडेंट डॉक्टरों को समझाने का प्रयास किया। लेकिन रेजिडेंट डॉक्टर्स ने उनकी बात नहीं मानी और उन पर हमला कर दिया और उनको लात,घूंसों,जूतों से मारा साथ ही रेजीडेंट डॉक्टरों ने उन्हें जाति सूचक शब्द कहे और उनका अपमान किया।रेजीडेंट डॉक्टरों की मारपीट से वादी मुकदमा प्राचार्य की दाई आंख में गम्भीर चोट आई जिससे उन्हें दिखाई देना कम हो गया।
वादी मुकदमा की चोटों का चिकित्सीय परीक्षण इमरजेंसी एस.एन.मेडिकल अस्पताल के नेत्र विभाग, दन्त विभाग, रेडियोलॉजी विभाग में हुआ साथ ही प्राचार्य का सीटी स्कैन भी हुआ।प्राचार्य की तहरीर पर आरोपी छह रेजीडेंट डॉक्टरों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ।
जिसमें दो रेजीडेंट डॉक्टरों दुपारगुडे अभिष्यंद भीमराव एवं करुण शंकर दिनकर के स्वयं दलित होने के कारण उनकें विरुद्ध दलित उत्पीड़न का आरोप नहीं लगा।
13वर्ष तक चले इस मुकदमे में
वादी मुकदमा तत्कालीन प्राचार्य डॉ धर्म सिंह, रेडियोलॉजिस्ट डॉ समरेंद्र नरायन, सीएमओ डॉ आर.बी.लाल, नेत्र विशेषज्ञ एस.के. सत्संगी, दन्त चिकित्सक एस.के. कठेरिया, सी.एम.एस. डॉ सुनहरी लाल, रेडियोलॉजिस्ट डॉ हरी सिंह, रवि त्रिपाठी, क्षेत्राधिकारी पुलिस सिद्धार्थ वर्मा को अभियोजन पक्ष ने गवाही हेतु अदालत में पेश किया।
लेकिन वादी मुकदमा को छोड़ कर अन्य गवाहों द्वारा घटना का समर्थन नहीं करने के कारण ,पर्याप्त सबूतों के अभाव एवं आरोपी डॉक्टरों कें वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ रवि अरोरा, चौधरी इंद्रभान सिंह एवं नरेश कुमार यादव के तर्कों को स्वीकार करते हुए विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट राजेंद्र प्रसाद की अदालत ने उन्हें आरोपमुक्त कर बरी करने के आदेश दिये।जूनियर्स डॉक्टर्स द्वारा इस प्रकार आक्रोशित होने का कारण उपचार के दौरान एक मरीज राजवीर की मौत हो जाने से उसके तीमारदारों द्वारा जूनियर डॉक्टर्स के साथ मारपीट की गई थी जिससे डॉक्टर्स उत्तेजित हो गए थे।