न्यायालय ने कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन एक अधिकार है लेकिन ऐसे विरोध प्रदर्शन करते समय होनी चाहिए जिम्मेदारी की भावना
आगरा /नई दिल्ली 03 दिसंबर ।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रदर्शनकारी किसान जगजीत सिंह दल्लेवाल से कहा कि वे फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के तहत राजमार्गों को बाधित न करें और जनता को असुविधा न पहुंचाएं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने उनकी कथित अवैध हिरासत के संबंध में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा करते हुए उन्हें यह सलाह दी।
पीठ ने कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन एक अधिकार है, लेकिन ऐसे विरोध प्रदर्शन करते समय जिम्मेदारी की भावना होनी चाहिए।
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दल्लेवाल को कथित तौर पर दिल्ली से सटे खनौरी बॉर्डर पर विरोध स्थल से हटा दिया गया था, जहाँ उन्होंने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) के कानूनी अधिकार की मांग पूरी होने तक आंदोलन और आमरण अनशन की योजना बनाई थी।
इसके बाद उन्हें लुधियाना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। दल्लेवाल ने अदालत का रुख करते हुए दावा किया कि उन्हें अस्पताल में जबरन भर्ती कराया गया था और हिरासत में रखने का एक तरीका था।
हालांकि, बाद में उन्हें हिरासत से रिहा कर दिया गया और वे फिर से विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए। इस पर ध्यान देते हुए, अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया।
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साभार: बार & बेंच
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