“जमानत नियम है और जेल अपवाद है” के सिद्धांत का प्रमुख रूप से पालन किया जाना चाहिए
आगरा/ नई दिल्ली 05 नवंबर ।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मीडिया में एक विशेष मामला महत्वपूर्ण हो जाता है और फिर उस विशेष मामले पर कोर्ट की आलोचना की जाती है। 9 नवंबर 2022 से 1 नवंबर 2024 के बीच सुप्रीम कोर्ट में 21,000 जमानत मामले दायर किए गए।इस दौरान 21,358 जमानत मामलों का निपटारा किया गया है।
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दिल्ली दंगों के मामले में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी को लेकर के देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ से सवाल पूछा गया। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कई मामले का जो मीडिया में दिखाया जाता है उससे वे काफी अलग हो सकते हैं। एक जज किसी मामले की सुनवाई करते समय अपने दिमाग का इस्तेमाल करता है और बिना किसी पक्षपात के उसके मैरिट के आधार पर फैसला करता है।
इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के एक कार्यक्रम में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मीडिया में एक विशेष मामला महत्वपूर्ण हो जाता है और फिर उस विशेष मामले पर कोर्ट की आलोचना की जाती है।
उन्होंने कहा,
“सीजेआई के रूप में पदभार संभालने के बाद मैंने जमानत के मामलों को प्राथमिकता देने का फैसला किया क्योंकि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है।यह फैसला लिया गया कि सुप्रीम कोर्ट की कम से कम हर पीठ को 10 जमानत मामलों की सुनवाई करनी चाहिए।9 नवंबर 2022 से 1 नवंबर 2024 के बीच सुप्रीम कोर्ट में 21,000 जमानत मामले दायर किए गए।इस दौरान 21,358 जमानत मामलों का निपटारा किया गया है।”
मनी लॉन्ड्रिंग के 901 मामले निपटाए गए- सीजेआई
सीजेआई ने बताया कि इसी अवधि में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज 967 मामलों में से 901 का निपटारा किया गया।
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उन्होंने कहा,
‘एक दर्जन राजनीतिक मामले प्रमुख लोगों से जुड़े हैं, जिनमें हाल के महीनों में जमानत दी गई है। अक्सर मीडिया में किसी मामले के एक खास पहलू को पेश किया जाता है। जब कोई जज किसी मामले के रिकॉर्ड पर ध्यान देता है, तो जो सामने आता है वह उस विशेष मामले के मैरिट्स के बारे में मीडिया में दिखाई गई पिक्चर से काफी अलग हो सकता है। जज संबंधित मामलों पर अपना ध्यान केंद्रित करता है और फिर मामले का फैसला करता है।
मैंने ए से लेकर जेड तक जमानत दी- सीजेआई
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सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा,
“अपनी बात करूं तो मैंने ए से लेकर जेड (अर्नब गोस्वामी से लेकर जुबैर तक) को जमानत दी है और यही मेरा दर्शन है। “जमानत नियम है और जेल अपवाद है” के सिद्धांत का प्रमुख रूप से पालन किया जाना चाहिए, लेकिन इसे अभी ट्रायल कोर्ट तक पहुंचना बाकी है।”
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साभार: TV9